Renowned Economist Radhika Pandey Passes Away at 46 Nation Mourns a Great Loss”

Economist Radhika Pandey Passes Away

Economist Radhika Pandey Passes Away, 28 जून 2025 को भारत ने एक प्रतिभाशाली अर्थशास्त्री, शिक्षिका और नीति सलाहकार — डॉ. राधिका पांडे — को खो दिया।

Economist Radhika Pandey Passes Away,कौन थीं डॉ. राधिका पांडे?

डॉ. राधिका पांडे भारत की जानी-मानी मैक्रोइकोनॉमिक्स विशेषज्ञ थीं। वे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (NIPFP) में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत थीं। उनके रिसर्च पेपर्स, नीतिगत सलाह और सरल भाषा में अर्थव्यवस्था को समझाने की कला उन्हें आम जनता और नीति निर्माताओं के बीच खास बनाती थी।

शिक्षा और करियर

  • बी.ए: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU)
  • एम.ए व पीएच.डी: जोधपुर विश्वविद्यालय
  • पूर्व में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, जोधपुर में पढ़ाया
  • वर्ष 2008 से NIPFP में रिसर्च और नीति निर्माण में सक्रिय योगदान

डॉ. राधिका ने मौद्रिक नीति, मुद्रास्फीति, वित्तीय सुधारों और सार्वजनिक ऋण जैसे विषयों पर गहन शोध किया। उन्होंने कई सरकारी टास्क फोर्स और रिफॉर्म कमेटियों में भी भाग लिया, जिनमें Public Debt Management Agency, Sri Krishna Committee on Financial Sector Reforms शामिल हैं।

लेखन और मीडिया योगदा

वह ThePrint की लोकप्रिय कॉलम “MacroSutra” की लेखिका थीं। इसके अलावा उन्होंने Business Standard, BloombergQuint, और The Hindu जैसे प्रमुख मीडिया प्लेटफॉर्म पर नियमित रूप से लेख लिखे।

कैसे हुआ निधन?

डॉ. राधिका पांडे कुछ हफ्ते पहले टाइफाइड और फिर पीलिया (jaundice) से पीड़ित हुईं। इलाज के दौरान उनके लिवर ने काम करना बंद कर दिया, जिससे उन्हें एमरजेंसी लिवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता पड़ी। उनका बेटा कनिष्क उनका लिवर डोनर बना। लेकिन ट्रांसप्लांट के बाद उनकी हालत और बिगड़ती गई और अंततः 28 जून 2025 की सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली।

परिवार

उनके पीछे उनके पति संजय पांडे और बेटा कनिष्क पांडे हैं। उनकी मृत्यु ने पूरे शैक्षणिक और नीति निर्माण जगत को स्तब्ध कर दिया है।

“उनकी सोच और समझ हर आर्थिक नीति में झलकती थी। वह न सिर्फ एक स्कॉलर थीं, बल्कि एक बेहतरीन इंसान भी।”
डॉ. इला पटनायक, अर्थशास्त्री

डॉ. राधिका पांडे का जाना केवल एक अर्थशास्त्री की मृत्यु नहीं, बल्कि एक ऐसी आवाज का शांत हो जाना है जो अर्थव्यवस्था को आम आदमी की भाषा में समझाने में सक्षम थी। उनके विचार, लेख और योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा रहेंगे।

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